अछूत हम तब भी थे और आज भी हैं तुम्हारी उन्हीं दूषित नजरों में। अछूत हम तब भी थे और आज भी हैं तुम्हारी उन्हीं दूषित नजरों में।
वो आज की औरत जो इंसान है, और इंसान होना चाहती है। वो आज की औरत जो इंसान है, और इंसान होना चाहती है।
पैदा होता जब इंसान खुशियों की होती बान। पैदा होता जब इंसान खुशियों की होती बान।
कवि के चश्में से दिखती दुनिया कवि के चश्में से दिखती दुनिया
प्यार में उसके मगर उफ्फ नहीं करती है, ये औरत भी अजीब प्राणी होती है। प्यार में उसके मगर उफ्फ नहीं करती है, ये औरत भी अजीब प्राणी होती है।
मरने से मुश्किल है साहिब सकूं से जीना यहाँ। मरने से मुश्किल है साहिब सकूं से जीना यहाँ।